"तीन ही उसूल हैं मेरी जिन्दगी के आवेदन,निवेदन और फिर ना माने तो दे दना दन !!
आप किसी की तारीफ कितनी भी कर
सकते हो, लेकिन बेईज्ज़ती हमेशा नाप
तोल कर करना, क्युँकि ये वो उधार है
जो हर कोई चुकाने के लिए मरा जाता ह
एक दिन हम सब एक दूसरे को यह सोच कर खो देंगे कि, वो मुझे याद नहीं
करते तो मैं क्यों करूँ।
उतने ही परिणाम में आग प्रज्वलित करनी चाहिए जितनी कि पानी से बुझाई
जा सके!
मेरे जज्बात से इस कदर वाकिफ है मेरी कलम
की मै इश्क लिखना भी चाहू
तो इन्कलाब लिखा जाता है - भगतसिंह
दुनिया बदलनी है तो घर से निकलना होगा.. कहीं पहुँचने के लिए कहीं से तो चलना होगा...!!
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